कैसे एक शख्स ने गाजियाबाद में 7 साल तक चलाया फर्जी दूतावास अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए, हर्षवर्धन जैन ने एक बेहतरीन आवरण तैयार किया था। वह गाजियाबाद में एक किराए की संपत्ति से वाणिज्य दूतावास चलाता था।

एक आलीशान दो मंजिला इमारत, बाहर खड़ी राजनयिक नंबर प्लेट वाली चार कारें, एक नेमप्लेट जिस पर लिखा था, “ग्रैंड डची ऑफ वेस्टआर्कटिका” और “एच ई एच वी जैन मानद वाणिज्यदूत” – दिल्ली के पास गाजियाबाद में पकड़ा गया फर्जी दूतावास, खुलेआम छिपने का एक आदर्श उदाहरण है।
उत्तर प्रदेश के विशेष कार्य बल द्वारा फर्जी दूतावास का भंडाफोड़ करने के बाद गिरफ्तार किए गए हर्षवर्धन जैन ने कथित तौर पर लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का वादा करके नौकरी का घोटाला किया था। उन पर हवाला और जाली राजनयिक दस्तावेजों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का हिस्सा होने का भी आरोप है।
एसटीएफ के अधिकारियों ने राजनयिक नंबर प्लेट वाली कारें, 12 छोटे देशों के ‘राजनयिक पासपोर्ट’, विदेश मंत्रालय की मुहर लगे दस्तावेज़, 34 देशों की मुहरें, 44 लाख रुपये नकद, विदेशी मुद्रा, 18 राजनयिक नंबर प्लेट और लग्ज़री घड़ियों का एक संग्रह बरामद किया है।
वर्ष 2011 में, जैन के खिलाफ एक सैटेलाइट फोन पाए जाने के बाद पुलिस मामला दर्ज किया गया था। जाँचकर्ताओं को जैन की तस्वीरें भी मिलीं जिनसे पता चलता है कि वह विवादास्पद “धर्मगुरु” चंद्रास्वामी और सऊदी हथियार डीलर अदनान खशोगी के करीबी थे।
स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी 80 और 90 के दशक में इतने प्रभावशाली हो गए थे कि उन्हें तीन प्रधानमंत्रियों – पीवी नरसिम्हा राव, चंद्रशेखर और वीपी सिंह का आध्यात्मिक सलाहकार माना जाता था। वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में उन पर शिकंजा कसा गया और 1996 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके आश्रम पर छापेमारी में खशोगी के साथ लेन-देन का भी खुलासा हुआ। चंद्रास्वामी पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के लिए धन मुहैया कराने का भी आरोप था। जैन के ऐसे लोगों से संबंध इस फर्जी राजनयिक के संदिग्ध अतीत की ओर इशारा करते हैं।
ऐसे ना जाने कितने लोगों के साथ इस शख्स ने झूठ और फरेब के द्वारा धोखाधड़ी की होगी ऐसे शख्स को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। इसलिए देश वाशियो से यही कहना चाहूंगी ऐसे ठगी लोगों से बच कर रहे किसी के बहकावे और लालच में न आए।